नए इलाके में
अरुण कमल चुनौती भरे इलाक़े में विगत सदी में 90 का दशक भूमण्डलीकृत एकध्रुवीय विश्वव्यवस्था की स्थापना और समाजवादी व्यवस्थाओं के ध्वंस के चलते, वैचारिक और रचनात्मक आग्रहों की पुनर्परिभाषा का दौर रहा है। इस वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारतीय समाज ने मंडल और कमंडल के रूप में कुछ अपनी उथल-पुथल के आयाम भी शामिल किए। अरुण कमल का तीसरा संग्रह 'नये इलाके में' (1996) की कविताएं इसी दौर का कविप्रदत्त साक्ष्य प्रस्तुत करती हैं। संग्रह की पहली कविता 'नये इलाके में' की आरंभिक पंक्तियां हैं: "इन नये बसते इलाकों में जहां रोज बन रहे हैं नये नये मकान मैं अक्सर रास्ता भूल जाता हूँ" अरुण कमल 90 के दशक में होने वाले परिवर्तनों के लिए एक भौगोलिक इलाके का रूपक बनाते हैं। दृश्य कुछ यूँ बनता है कि कोई व्यक्ति किसी पुराने इलाके में स्थित अपने घर की तलाश में आता है और पाता है कि वह इलाका पूरी तरह से बदल गया है। जो पुरानी पहचानें थीं, वे गायब हो चुकी हैं। हर बार वह अपने गंतव्य से थोड़ा आगे पीछे 'ठकमकाता' रहता है। इस रूपक को कुछ और साफ़ करने वाली बीच की पंक्तियां देखें: ...