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Showing posts from August, 2018

नए इलाके में

अरुण कमल चुनौती भरे इलाक़े में विगत सदी में 90 का दशक भूमण्डलीकृत एकध्रुवीय विश्वव्यवस्था की स्थापना और समाजवादी व्यवस्थाओं के ध्वंस के चलते, वैचारिक और रचनात्मक आग्रहों की पुनर्परिभाषा का दौर रहा है। इस वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारतीय समाज ने मंडल और कमंडल के रूप में कुछ अपनी उथल-पुथल के आयाम भी शामिल किए। अरुण कमल का तीसरा संग्रह 'नये इलाके में' (1996) की कविताएं इसी दौर का कविप्रदत्त साक्ष्य प्रस्तुत करती हैं। संग्रह की पहली कविता 'नये इलाके में' की आरंभिक पंक्तियां हैं: "इन नये बसते इलाकों में जहां रोज बन रहे हैं नये नये मकान मैं अक्सर रास्ता भूल जाता हूँ"   अरुण कमल 90 के दशक में होने वाले परिवर्तनों के लिए एक भौगोलिक इलाके का रूपक बनाते हैं। दृश्य कुछ यूँ बनता है कि कोई व्यक्ति किसी पुराने इलाके में स्थित अपने घर की तलाश में आता है और पाता है कि वह इलाका पूरी तरह से बदल गया है। जो पुरानी पहचानें थीं, वे गायब हो चुकी हैं। हर बार वह अपने गंतव्य से थोड़ा आगे पीछे 'ठकमकाता' रहता है। इस रूपक को कुछ और साफ़ करने वाली बीच की पंक्तियां देखें: &q

अपनी केवल धार

अरुण कमल की धार अरुण कमल की प्रसिद्ध कविता “धार” यहाँ प्रस्तुत है--- कौन बचा है जिसके आगे इन हाथों को नहीं पसारा यह अनाज जो बदल रक्त में चल रहा है तन के कोने-कोने यह कमीज जो ढाल बनी है बारिश सरदी लू में सब उधार का, माँगा-चाहा नमक-तेल, हींग-हल्दी तक सब कर्जे का यह शरीर भी उनका बंधक अपना क्या है इस जीवन में सब तो लिया उधार सारा लोहा उन लोगों का अपनी केवल धार। अरुण कमल के पहले संग्रह "अपनी केवल धार" की अत्यधिक चर्चित और प्रशंसित रचनाओं में से एक इस कविता के बारे में आमतौर पर यह कॉमनसेंस बना है कि कवि ने इसमें आम जन के प्रति विनम्रता और कृतज्ञता का समुचित ज्ञापन किया है। उसकी रचना और विचार का निर्माण जिन धातु-तत्वों से हुआ है उनका श्रेय वह जनसमुदाय को देता है। यानी यह कविता एक मध्यवर्गीय बौद्धिक रचनाकार की निम्नवर्गीय श्रमिकजन के प्रति कृतज्ञता के उदाहरण के रूप में भी देखी गयी है। निम्नवर्ग के प्रति मध्यवर्ग के रवैये का प्रश्न मुक्तिबोध के समय से ही कविता का केंद्रीय प्रश्न है और अगर किसी रचना में निम्नवर्ग की भूमिका का समुचित स्वीकार दिखता है तो यह निश्चय ह