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Showing posts from July, 2020

जड़, चेतन, काल और परिवर्तन

                                                          ------कृष्णमोहन शमशेर के बारे में पहले मुक्तिबोध का एक कथन देखते हैं: "...शमशेर वास्तविक भाव-प्रसंग में उपस्थित संवेदनाओं का चित्रण करते हैं। संवेदनाएँ वास्तविकता का एक भाग हैं---जो एक वास्तविक परिस्थिति के अंतर्गत भाव-प्रसंग में उद्बुद्ध होती हैं।...वास्तविकता हमेशा, अनिवार्य रूप से अटूट नियम की भांति उलझी हुई होती है। उस में दिक और काल, भूगोल और इतिहास, व्यक्ति और समाज, चरित्र और परिस्थिति, आलोचक मन और आलोचित आत्म-व्यक्तित्व आदि आदि घनिष्ठ रूप से बिंधे हुए होते हैं।...वास्तविक भाव-प्रसंगों में क्रमबद्ध और सक्रिय संवेदनाओं के चित्रण के अभाव में केवल सामान्यीकृत भावना, प्रकृति पर मन के रंगों का आरोप, केवल एक मूड और एक भावनात्मक रुख़ और लगभग गणितशास्त्री यांत्रिक शिल्प यही तथाकथित आधुनिक रोमांटिक कविता की उपलब्धि है। वास्तविक प्रणयजीवनकाल का 'ह्यूमनाइजिंग इफ़ेक्ट', हमें आधुनिक कविता में अधिक प्राप्त नहीं होता। यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है।...ऐसे काव्य-साहित्य ने साहित्य-चिंतनधारा को बहुत अधिक प्रभावित किया है। फलतः 'चि

टूटी हुई, बिखरी हुई

कृष्णमोहन  शमशेर बहादुर सिंह की प्रसिद्ध कविता 'टूटी हुई, बिखरी हुई' के बारे में कई मिथक प्रचलित हैं, जिनमें से एक यह है कि शमशेर ने इसे डायरी के रूप में लिखा था, और नामवर सिंह ने इसे देखकर कहा कि यह तो कविता है। फिर इसे कविता के रूप में प्रकाशित किया गया। गोया ख़ुद कवि को भी यह भान नहीं था कि उससे कविता हो गई है। आम तौर पर इस कविता को आधुनिक हिंदी की सर्वश्रेष्ठ प्रेम-कविता कहा जाता है, लेकिन इसे सबसे दुरूह कविता का दर्जा भी हासिल है। शमशेर के प्रमुख अध्येताओं में से एक विजयदेवनारायण साही के विचार हम इस शृंखला में पहले देख चुके हैं। उनके दूसरे समकालीन नामवर सिंह ने 1990 में उनकी प्रतिनिधि कविताओं का चयन करते हुए जो भूमिका लिखी उसमें साफ़ कर दिया कि शमशेर की कविताओं के स्थापत्य में प्रवेश करना उनके लिए संभव नहीं है। सो वे बाहर ही बाहर परिक्रमा करेंगे। शेष लोगों ने उन्हें 'कवियों का कवि' कहकर अपने हिस्से का फ़र्ज़ निभाया। इस कविता की पहली पंक्ति को इसका शीर्षक बनाया गया है, और उसकी तर्ज़ पर ही यह मान लिया गया कि इस कविता की कोई सुसंगत व्याख्या संभव नहीं है, बल्कि उसकी अपेक्षा