जड़, चेतन, काल और परिवर्तन
------कृष्णमोहन शमशेर के बारे में पहले मुक्तिबोध का एक कथन देखते हैं: "...शमशेर वास्तविक भाव-प्रसंग में उपस्थित संवेदनाओं का चित्रण करते हैं। संवेदनाएँ वास्तविकता का एक भाग हैं---जो एक वास्तविक परिस्थिति के अंतर्गत भाव-प्रसंग में उद्बुद्ध होती हैं।...वास्तविकता हमेशा, अनिवार्य रूप से अटूट नियम की भांति उलझी हुई होती है। उस में दिक और काल, भूगोल और इतिहास, व्यक्ति और समाज, चरित्र और परिस्थिति, आलोचक मन और आलोचित आत्म-व्यक्तित्व आदि आदि घनिष्ठ रूप से बिंधे हुए होते हैं।...वास्तविक भाव-प्रसंगों में क्रमबद्ध और सक्रिय संवेदनाओं के चित्रण के अभाव में केवल सामान्यीकृत भावना, प्रकृति पर मन के रंगों का आरोप, केवल एक मूड और एक भावनात्मक रुख़ और लगभग गणितशास्त्री यांत्रिक शिल्प यही तथाकथित आधुनिक रोमांटिक कविता की उपलब्धि है। वास्तविक प्रणयजीवनकाल का 'ह्यूमनाइजिंग इफ़ेक्ट', हमें आधुनिक कविता में अधि...